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जनता सत्ता में अच्छे लोगों को चाहती है, लेकिन वोट देती है जात और धर्म वाले को

मोतिहारी। अशोक वर्मा
विधानसभा का चुनाव संपन्न हो गया 7 नवंबर को तीसरा और अंतिम चरण का मतदान शांतिपूर्ण माहौल में हुआ। अंतिम चरण के चुनाव के कारण काफी सुरक्षा बल चुनाव में लगाए गए थे। काफी सख्ती थी, एक परिंदा भी पर नहीं मार सकता था, वाली कहावत चरितार्थ हुई। वास्तव में कोई बोगस या गलत मतदाता परिसर मे आने की हिम्मत भी नहीं कर पाए। मतदान बड़े ही शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ। कौन पार्टी हारेगी या कौन गठबंधन जीतेगा यह इस लेख का मुद्दा नहीं है, मुख्य रूप से मुद्दा है कि इस आंधी तूफान के चुनावी दौर में पूर्वी चंपारण में कुछ ऐसे प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में उतरे जो खुद जानते थे कि मैं बुरी तरह से हारूंगा और जमानत तक भी जप्त हो सकती है। बावजूद उन लोगों ने चुनाव लड़ा और काफी दमखम के साथ अपने सीमित संसाधन के बल पर चुनाव लड़े। प्रथम निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल साह इंटर कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्राध्यापक मदन प्रसाद रहे, जिन्होंने रक्सौल विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़े। मदन प्रसाद के पूर्व के प्राचार्य के पद का सेवा कार्य को अगर देखा जाए चाहे वह रमगढवा उच्च विद्यालय हो या मोतिहारी गोपाल साह उच्च विद्यालय हो, दोनों विद्यालय की रूपरेखा को उन्होंने सजाया संवारा तथा शिक्षा में गुणवत्ता लाई। गोपाल साह उच्च विद्यालय मे उन्होंने शताब्दी समारोह का आयोजन कर एक नया इतिहास भी रच डाली।वे लगातार स्कूल में अभिभावकों के साथ बैठक करके अभिभावकों को उन्होंने यह बताया कि आपके बच्चे या बच्चियां स्कूल के नाम पर घर से तो चलते हैं लेकिन बीच में ही गायब हो जाते हैं और बगल के सत्याग्रह पार्क में उनको देखा जाता है। उन्होंने बड़े युक्ति से इशारा किया और कहा कि आप लोग खुद नहीं देखेंगे तो स्कूल के प्राध्यापक या अन्य स्टाफ कहां तक उनको कंट्रोल कर पाएंगे ?यह सभी बातें उनके कार्यकाल में हुई जबकि सरकारी विद्यालयों में कहीं भी ऐसा होता नहीं है। निजी विद्यालय वाले भी अभिभावको के पास शिकायत करके अपनी डयूटी पुरी कर लेते हैं। लेकिन मदन प्रसाद ने यह काम अपने कार्यकाल में लगातार किया। विधायक फंड से उन्होंने राशि भी ली और लेकर के स्कूल का कायाकल्प किया। टूटे हुए कमरो की उन्होंने रिपेयरिंग कराई और स्कूल का लुक बदल दिया। कभी पूर्वी चंपारण में गोपाल साह उच्च विद्यालय का नाम एक नंबर में आता था उन्होंने उसे उस रूप में लाने का भरपूर प्रयास किया। अक्सर नौकरी से अवकाश प्राप्त करने के बाद लोग घर में ही रह करके खेती-बाड़ी का कार्य देखते हैं, लेकिन मदन प्रसाद ने चुनावी मैदान में उतर कर वेहतर प्रत्याशी की इच्छा रखने वालों को जवाब देने का निर्णय लिया। एक भेंट में उन्होंने बताया कि मैं भी जानता हूं कि चुनाव में क्या होने जा रहा है, लेकिन जनता बराबर यह चाहती है कि अच्छे लोग राजनीति में आवें और विधायक बने ताकि लोगों के दुख दर्द को वे समझ सकें, मैं उसी सिद्धांत और लाइन पर अपने को चुनाव मे उतारा हूं।मै औरो की तरह पैसा भी खर्च नहीं कर सकता हूं ,लेकिन मैं चुनाव में जनता के बीच अपने जीवन और अपने सेवा के स्वरूप को लेकर के उतरा हूं और जनता से अपील करूंगा कि आपने तो चाहा था कि अच्छे लोग आवें । अगर मैं अच्छा हूं तो आप मुझे जीता करके भेजें। दूसरे प्रत्याशी इंजीनियर मुन्ना कुशवाहा है मुन्ना कुमार आप पार्टी के प्रदेश नेता है तथा काफी साधारण परिवार से आते हैं। समाज सेवा मे खास करके गरीब छात्र-छात्राओं के बीच उन्होंने कंप्यूटर शिक्षा देकर के उनके जीवन को आगे बढ़ाने का काम किया है।समाजिक संस्था बना करके उन्होंने प्रतिभावान लोगों को सम्मानित भी किया है। वे भी इसी सिद्धांत को लेकर के चुनाव में उतरे हैं।दोनो निर्दलीये आप पार्टी से चुनाव लडना चाहते थे लेकिन चुकि आप पार्टी का निर्णय था कि बिहार में प्रत्याशी नहीं उतारेंगे, उसके तहत दोनो के अरमान पर पानी फिर गया,लेकिन दोनो समाजसेवियों ने निर्दलीये चुनाव लडने का निर्णय लिया।मुन्ना जी ने ऐन मौके पर प्लूरलस पार्टी ज्वाइन की और उस पार्टी के टिकट पर मोतिहारी से चुनाव लडे । एक छोटी कार उनके पास थी वह भी किसी ने सहयोग के रूप में दी थी ।यही साधन था।

वे अपने मूल आधार युवा वर्ग जो उनकी पूंजी है, को लेकर के बढे हैं। नये जोश के साथ वे चुनाव के मैदान में उतरे हैं। मोतिहारी के वर्तमान विधायक के कार्यों की उन्होंने जमकर आलोचना की साथ-साथ उन्होंने जंगल पार्टी का भी वर्णन किया। उन्होंने भी जनता के सामने एक बात को रखने का काम किया कि आप लोग हमेशा चाहते रहे हैं कि समाज के शिक्षित और चरित्रवान लोग चुनाव के मैदान में उतरे और उनको हम जीतावें ताकि वे बेहतर कार्य कर सके। मैं आपकी इस भावना का कद्र करते हुए प्यूरलस पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहा हूं, बाकी निर्णय आपके हाथ में है कि आप मेरे जैसे आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन दिल के धनी व्यक्ति को वोट देते हैं या आर्थिक रूप से संपन्न और संवेदनहीन तथा दिल के गरीब लोगों को जीता करके भेज कर उनसे बेहतर कार्य की उम्मीद करेंगे?

इंजीनियर मुन्ना कुमार के साथ मोतिहारी विधानसभा क्षेत्र के काफी युवक एवं युवतियां जुडकर इनकी भावना और उद्देश्य को जनता के समक्ष रख रहे हैं। इनकी पार्टी के संस्थापक सुश्री प्रिया ने इस आईडियोलॉजी और मकसद को लेकर के अपने आप को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किया था तथा वैसे ही युवकों को टिकट भी दिया है जो बिल्कुल हीं चरित्रवान और समाजसेवी है । सुश्री प्रिया के प्यूरल पार्टी प्रत्याशी मोतिहारी के इंजीनियर मुन्ना कुमार तथा निर्दलीये अवकाश प्राप्त शिक्षक मदन प्रसाद जनता के बीच उतरे हैं। जनता इनको अच्छा प्रत्याशी कह रही है, लेकिन जनता यह भी कह रही है कि इस तूफान के दौर में मुन्ना कुमार या मदन प्रसाद क्या कर पाएंगे? लोगों के अंदर इस तरह की जो बातें उठी है यह दोहरी मानसिकता को दर्शाती है और कुछ खतरनाक स्थिति की ओर इशारा भी करती है। एक तरफ जनता चारित्रवान लोगों को सत्ता मे बैठाकर बेहतर सेवा, विकास ,और भ्रष्टाचार मुक्त समाज निर्माण चाहती है , लेकिन चुनाव के दरमियान वे चरित्रवान लोगों को वोट देना भी नहीं चाहती है। फिर ऐसी स्थिति में सामाजिक व्यवस्था में बदलाव की उम्मीद बेमानी साबित होगी।
इसलिए बुद्धिजीवियों में यह कहते सुना गया है की जैसे -जैसे लोगों को जनता वोट देकर बैठाती है फिर जनता खुद हीं तो भोगती है।

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