
मोतिहारी। अशोक वर्मा
पूरे बिहार में चल रहे हैं अतिक्रमण हटाओ अभियान अंतर्गत मोतिहारी शहर को भी जिला प्रशासन अतिक्रमण मुक्त कर रहा है। सोमवार को भी मंगल सेमिनरी के बगल वाली गली समेत अन्य जगहों पर प्रशासन का बुलडोजर चला। इस बार का अभियान ऐतिहासिक रहा और मोतिहारी के इतिहास में पहली बार इस तरह से एक साथ तिथि निर्धारित कर के जिला पदाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने अभियान को अंजाम दिया। लेकिन अभियान का चयन वैसे समय का किया गया, जिस समय लोग ठंड से बचने का प्रयास करते हैं, लेकिन उजाड मे न सिर्फ उनकी जीविका चली गई, बल्कि खुले आसमान के नीचे रहने को भी कई लोग विवश हुए हैं।
खैर मानवीय दृष्टिकोण से यह भले ही अच्छा नहीं लग रहा हो लेकिन आम लोगों के साथ जो नगर में आए दिन जाम की समस्या उत्पन्न होती थी और उन्हें जूझना पड़ता था, इस अभियान के बाद बहुत हद तक राहत मिली। वैसे सड़क का जो चैड़ीकरण हुआ यह स्थाई रहेगा, इसमें लोगों के अंदर शक बना हुआ है।
इसका मूल कारण यह है कि बार-बार अतिक्रमण उजाडो अभियान चलाया जाता है और बार-बार फिर लोग अपने मूल जगह पर अस्थाई दुकानें सजाते रहते हैं । काफी पहले तत्कालीन जिला पदाधिकारी दीपक कुमार जो अभी बिहार में मुख्य सचिव है, उनके कार्यकाल में भी अतिक्रमण उजाडो अभियान चला था, लेकिन उन्होंने बड़े ही सूझबूझ से विज्ञापन निकालकर कम लागत पर दुकानदारों को उन्होंने दुकान दिया था, ताकि वे जीविका चला सके । आज उसका प्रमाण है जिला स्कूल, हॉस्पिटल ,गांधी संग्रहालय के पास और स्टेशन के आसपास की दुकानें। वर्तमान जिला अधिकारी शिर्सत कपिल अशोक अगर थोड़ा उदार बने तो एक बार फिर दीपक कुमार के समय जो अभियान चलाकर दुकानें बनाई गई थी, वैसी योजना को एक बार फिर शहर में चलाया जा सकता है। ऐसी बात नहीं है कि शहर में दुकानों के लिए जगह की कमी ह,ै आज भी अगर मंगल सेमिनरी के सामने का जो नाला है वहां से लेकर कस्टम कार्यालय के सामने तक सैकड़ों दुकानें बन सकती हैं। 8 × 8 फीट के साइज की दुकानें आसानी से बनाई जा सकती हैं और दुकानदार स्वयं उसका निर्माण खर्च दे भी सकते हैं। जो राशि लगाने मे सक्षम नहीं होंगे, उनके लिए बैंक से ऋण की व्यवस्था जिला प्रशासन चाहे तो करा सकती है । इसके अलावा प्राइवेट बस स्टैंड से लेकर बंगाली कोलोनी तक काफी चैड़ा नाला है, उस नाले के ऊपर सैकड़ों दुकानें बन सकती है। डीडीसी आवास के आसपास सड़क के दोनों किनारे काफी लंबी दूरी तक सरकारी जमीन खाली पड़ी हुई है, उस पर भी सैकड़ों दुकानें बन सकती है। मुख्य रूप से अतिक्रमणकारी ऐसी खाली जमीनों पर ही अतिक्रमण कर दुकाने बनाते है। इस बार फिर उजाडो अभियान के साथ-साथ अतिक्रमण कारी छोटे-मोटे रूप में जगह को फिर से अपने कब्जे में लेकर दुकानें सजा भी रहे हैं। अगर जिला पदाधिकारी इस कार्य को कर देते हैं तो वह ऐतिहासिक कार्य होगा। वर्तमान समय में सरकारी और निजी नौकरियों का अकाल पड़ता जा रहा है, वैसे दौर में अगर जीविका के लिए छोटी छोटी दुकानें बनाकर उनको देती है तो यह उनके लिए वरदान साबित होगा और जिला पदाधिकारी को वे जीवन भर याद करेंगे।