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सुशासन राज में अब वकील घोटाला, 35 लाख रुपये प्रति सुनवाई लेने वाले वकील को बुलाया, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने बोला हमला

बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
बिहार के सुशासन राज में अब वकील घोटाला भी हो रहा. यह आरोप बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने लगाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब बिहार की सरकार यह काम भी कर रही है.
भाजपा प्रदेश कार्यालय में आज आयोजित प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने सूबे की गिरती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर करारा हमला किया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार कई घोटालों में लिप्त रहती है, लेकिन पहली बार बिहार में वकील घोटाला हो रहा है. हमने कई बार नीतीश जी को आयोग बनाने के लिए कहा, पर उन्होंने 15 रिव्यू पेटीशन दायर किए. इसके लिए उन्होंने 35 लाख रु प्रति सुनवाई लेने वाले वकीलों को दिल्ली से बुलवाया. उन्होंने पूछा कि जब सरकार को अपना पेटीशन वापस ही लेना था और कोई बहस ही नहीं करनी थी तो, इतनी बड़ी रकम वकीलों को क्यों दिए गये? उन्होंने पूछा कि क्या बिहार के एजी भी ‘रबर स्टैंप सीएम’ की तरह ‘रबर स्टैम्प एजी’ हो गए हैं. जिनका काम बहस की बजाए दिल्ली से वकीलों को लाना भर रह गया है?

उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस का हाल यह है कि एक फ्रॉड अपने आप को चीफ जस्टिस बताते हुए, डीजीपी से गलत काम करवा लेता है और उन्हें पता तक नहीं चलता. यहां के डीजीपी को शायद यह भी नहीं पता है कि किसी राज्य का चीफ जस्टिस जो दूसरे राज्य का होता है, अपनी नियुक्ति वाले राज्य में कभी भी कोई पैरवी नहीं करता है. अगर सूबे के डीजीपी का यह हाल है तो बाकि पुलिस फ़ोर्स का क्या हाल होगा यह स्वतरू अंदाजा लगाया जा सकता है. इससे पता चलता है कि बिहार की जनता आज पूरी तरह भगवान भरोसे हैं. डॉ जायसवाल ने कहा कि डीजीपी प्रकरण में फ़िलहाल एक अनियमितता का खुलासा हुआ है. लेकिन इससे पता चलता है कि दबाव के जरिए उनसे कुछ भी कराया जा सकता है. उन्होंने इस तरह के और क्या-क्या कारनामे किये हैं, यह जांच से ही पता चल सकता है. हमारी मांग है कि सरकार निष्पक्ष तरीके से उनकी जांच कराए.

 

हाई कोर्ट द्वारा राज्य में शराबबंदी कानून को फेल बताए जाने का जिक्र करते हुए डॉ जायसवाल ने कहा कि राजद सरकार को ‘जंगलराज’ बताने के बाद यह पहली बार है जब हाईकोर्ट ने कानून व्यवस्था को लेकर सरकार पर ऐसी तीखी टिप्पणी की हो. हमने सरकार में रहते हुए पहले भी कई बार शराब माफियाओं और नशे के सौदागरों के बढ़ते वर्चस्व को लेकर सरकार को आगाह किया था, लेकिन नीतीश कुमार की शह पर उनके बयानवीर नेता उल्टे हमें ही सीख देने लगते थे. यह नीतीश जी के उसी अहंकार का परिणाम है कि आज हाईकोर्ट खुद उन्हें शराबबंदी कानून के पालन में बुरी तरह फ़ेल बता रहा है. किसी सरकार के लिए इससे शर्मनाक कुछ और नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि यह बिहार की बदहाल कानून व्यवस्था और बढ़ते नशे के जाल का ही परिणाम है कि ऐसा कोई दिन नहीं बीत रहा जब दिनदहाड़े हत्या, लूट या रंगदारी मांगने का मामला सामने न आ रहा हो. कल पटना के पॉश इलाके बोरिंग रोड में जिस तरह से फ़िल्मी स्टाइल में गोलियों की बौछार करते हुए हरनौत के पूर्व मुखिया की हत्या हुई है, वह दिखाता है कि आज बिहार में अपराधियों का मनोबल कितना बढ़ा हुआ है. इसके अलावा घटना के तकरीबन पौन घंटे तक पुलिस का वारदात की जगह पर न पहुंचना पुलिस प्रशासन की सुस्ती और ठगबंधन राज में उनके घटे मनोबल को दर्शाता है.
उन्होंने कहा कि हकीकत में आज सरकार के निकम्मेपन से राज्य में अपराधियों को खुली छूट मिल गयी है. गली-गली अवैध शराब का कारोबार चलाते हुए शराब माफिया हजारों करोड़ की समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं. गांजा, चरस, स्मैक, ब्राउनशुगर आदि नशे के जाल में युवाओं की एक बड़ी जमात फंस चुकी है. लूट लिए जाने के डर से आम लोग अब फिर से रात में निकलने से परहेज करने लगे हैं. वास्तव में बिहार में अब धीरे-धीरे पुनरू राजद के जंगलराज की वापसी हो रही है, जिसमें अब अपराधियों, शराब माफियाओं के साथ-साथ पीएफआई जैसे देशद्रोही संगठन भी सरकार पर हावी होने लगे हैं. लेकिन सूबे के मुखिया को पीएम बनने के दिवास्वप्न से फुर्सत ही नहीं मिल रही है.

भाजपा प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार को बताना चाहिए कि आखिर सूबे में कानून व्यवस्था को मजबूत करने से उन्हें कौन रोक रहा है? वह बताएं कि आखिर किसके डर से उन्होंने बिहार में माफियाओं को खुली छूट दे दी है? नीतीश जी को बताना चाहिए कि सख्त कदम नही उठाने के लिए उन पर कौन दबाव बना रहा है?

 

 

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