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जदयू को उत्तर बिहार में पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक सीटों का घाटा, भाजपा ने अपना रिकार्ड तोड़ा

Neelkanth

बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
जदयू की वापसी के बाद विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए ने उत्तर बिहार के अपने पुराने गढ़ पर कब्जा तो जमा लिया है, परन्तु यह गठबंधन 2010 के चुनाव में मिली सफलता का इतिहास नहीं दोहरा पाया। इस बार तिरहुत व दरभंगा प्रमंडलों के नौ जिलों की 79 सीटों में से 55 पर एनडीए के विधायक जीतकर आए हैं।

महागठबंधन को 24 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। ये वहीं सीटें हैं जहां विधानसभा चुनाव 2010 में भी भाजपा के साथ जेडीयू भी एनडीए का मोर्चा थामा और इस गठबंधन के 68 विधायक जीत कर आए थे। एनडीए से अलग होने के बाद जेडीयू विधानसभा चुनाव 2015 में महागठबंधन का घटक रहा और राजद एवं कांग्रेस के साथ मोर्चाबंदी करते हुए 52 सीटों पर कब्जा जमाया। पिछली बार एनडीए को महज 25 सीटों पर संतोष करना पड़ा था।

भाजपा ने अपना रिकॉर्ड तोड़ा
तिरहुत व दरभंगा प्रमंडलों में भाजपा के सर्वाधिक 36 विधायक जीत कर आए हैं। भाजपा ने इन सीटों पर 2010 का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जब जेडीयू का साथ था, भाजपा को 2010 में 32 सीटों पर सफलता मिली थी। जेडीयू के अलग होने पर 2015 के चुनाव में भाजपा के सिर्फ 21 विधायक जीते। इस बार भाजपा 2010 के परिणाम से आगे निकलते हुए 36 सीटों पर बाजी मार ली। भाजपा ने पूर्वी चंपारण में आठ, पश्चिम चंपारण में सात, मधुबनी में पांच, दरभंगा और सीतामढ़ी में चार-चार तथा मुजफ्फरपुर-वैशाली में तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल की है। मुजफ्फरपुर और कुढ़नी सीटों पर भाजपा के विधायक हार गए, जबकि पारू के साथ औराई और बरूराज पर कब्जा जमाया।

जेडीयू को सर्वाधिक घाटा
उत्तर बिहार में पिछले 10 वर्षों में सबसे अधिक घाटा जेडीयू को हुआ है। जेडीयू लगातार नीचे खिसका है। एनडीए से निकलकर महागठबंधन में शामिल होने और फिर एनडीए में लौटने के दौरान जेडीयू के विधायकों की संख्या 36 से खिसक कर 15 पर पहुंच गई है। दोनों प्रमंडलों में जेडीयू के 2010 में 36, 2015 में 19 और 2020 में सिर्फ 15 विधायक जीते हैं। समस्तीपुर, मधुबनी और दरभंगा में जेडीयू के तीन-तीन विधायक जीते हैं। मुजफ्फरपुर, वैशाली, पूर्वी चंपारण और पश्चिम चंपारण में जेडीयू के एक-एक विधायक जीते हैं।

राजद का 2010 से बेहतर प्रदर्शन
महागठबंधन से जेडीयू के निकल जाने व कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बावजूद राजद ने 2010 के चुनाव से बेहतर प्रदर्शन किया है। राजद ने सिर्फ आठ सीटों पर सफलता पाई थी, वहीं इस बार पार्टी के 20 विधायक जीतकर आए हैं। पिछले चुनाव में जब महागठबंधन में जेडीयू भी था, राजद के 28 विधायक जीते थे। राजद ने मुजफ्फरपुर-समस्तीपुर में चार-चार और वैशाली, पूर्वी चंपारण व सीतामढ़ी-शिवहर में तीन-तीन सीटों पर बाजी मारी है।

कांग्रेस लुढ़की, वीआईपी का उदय
एनडीए की घटक मुकेश सहनी की वीआईपी ने तिरहुत-दरभंगा प्रमंडलों की सात सीटों पर लड़कर चार सीटों पर कब्जा जमाया और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। कांग्रेस पिछले चुनाव में 10 सीटों पर लड़कर पांच सीटों पर बाजी मारी थी, परन्तु इस बार 22 सीटों पर लड़ते हुए सिर्फ दो सीटों पर सिमट गई है। कांग्रेस के 2010 में तीन विधायक जीते थे। महागठबंधन के घटक भाकपा माले ने दो सीटों पर कब्जा जमाया है।

 

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