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जगतगुरु स्वामी नरेंद्रानंद महाराज ने किया वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शुभारंभ, बताया यज्ञ का महत्व, उमड़े श्रद्धालु

मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
मोतिहारी शहर में हो रहे अश्वमेध यज्ञ की विधिवत शुरूआत काशी सुमेरु पीठाधीश्वर जगतगुरु स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज,आचार्य श्रीकांत शर्मा एवं आचार्य अभिषेक कृष्ण शास्त्री सहित सैकडो विद्धान आचार्याे के वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुआ।

इसमे यज्ञ के यजमान डॉ.शंभूनाथ सिकरिया को शंकराचार्य ने मुकुट पहनाकर अश्वमेध यज्ञ करने की अनुमति दी। जिसके बाद डॉ.शंभूनाथ सिकरिया ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच शंकराचार्य के साथ विजय स्तंभ को स्थापित कर वाहन पर आरुढ़ गोल्ड प्लेटेड अश्व को भ्रमण के लिए छोड़ा, जो प्रभु श्रीराम से जुडे उत्तर प्रदेश एवं बिहार के कई स्थानों का भ्रमण कर अगामी छह अप्रैल को मोतिहारी पहुंचेगा।

इस दौरान लोगों द्धारा अश्वमेघ यज्ञ पर लगातार कई प्रश्न उठाये जा रहे है। जिसका उत्तर देते हुए रविवार को जगतगुरु नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा है कि वैदिक सनातन परंपरा में प्रकृति सुरक्षा के लिए यज्ञ का काफी महत्व है। यज्ञ का केवल अध्यात्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक व सांस्कृतिक महत्व भी है। उन्होंने राधा कृष्ण सेवा संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. शम्भूनाथ सिकरिया द्वारा आयोजित यज्ञ की सराहना करते हुए कहा कि अश्वमेध यज्ञ कोई भी कर सकता है। बस उसका उद्देश्य वेद व शास्त्रों के अनुकूल होना चाहिए।

उन्होंने शास्त्र की पंक्तियों का उदाहरण देकर कहा कि कलियुग में अश्वमेध यज्ञ कही से अनुचित नहीं है। क्योंकि इसमें सभी ग्रह एवं देवी देवताओं का पूजन होता है। मौके पर अभिषेक कृष्ण शास्त्री जी तथा बाल व्यास सह कथावाचक श्रीकांत शर्मा ने भी शांति,सदभाव व रोगमुक्त वातावरण निर्माण के लिए अश्वमेध यज्ञ के आयोजन और गोल्ड प्लेटेड अश्व को छोड़ने को उचित ठहराया।

मौके पर अश्वमेध यज्ञ के मुख्य यजमान शहर प्रसिद्ध उद्योगपति व शिक्षाविद डॉ. शंभूनाथ सिकरिया व उनके पुत्र सामाजिक कार्यकर्ता यमुना सिकरिया ने बताया कि सामूहिक हवन एवं वैदिक मंत्रोच्चार से सभी देवी-देवताओं का आह्रान किया जायेगा। जिसमंे सम्मिलित होने के लिए लगभग एक लाख नगरवासियों को आमंत्रण भेजा गया है। उन्होंने बताया कि रविवार से प्रत्येक दिन बाल व्यास कथावाचक श्रीकांत शर्मा का प्रवचन भी होगा। मौके पर देश के कई प्रांतों के संत अतिथि एवं बडी संख्या आचार्य गण मौजूद थे।

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