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चकिया में लापता मजदूर ‘मुन्ना’ की लाश ने खुद कराई अपनी शिनाख्त, पुलिस कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह

मोतिहारी। अरुण कुमार द्विेवेदी
पिछले 21 तारीख से गायब था मुन्ना। रोज की भांति चकिया में एक निर्माणाधीन भवन में काम करने के लिए आया था, फिर शाम से वह अचानक लापता हो गया। परिजन पुलिस के पास पहुंचे, मगर धन्य है चकिया पुलिस कि वह एक सप्ताह तक अपनी सारी कोशिश करने के बाद भी युवक की हवा तक न पा सकी। फिर मानो सोमवार को लाश ने खुद अपनी शिनाख्त करा दी।

एक सप्ताह तक निर्माणाधीन भवन के समीप एक गड्ढेनुमा खेत में दबी पड़ी लाश फूलने के साथ ही पानी की सतह पर उपलाने लगी। लाश दिखते ही सनसनी मच गई। देखते ही देखते वहां भारी भीड़ जमा हो गई। फिर पुलिस आई और अपना कोरम पूरा करने में लग गई। मगर सवाल जस का तस रह गया, कि आखिर पुलिस ने मुन्ना के साथ काम करने वाले लोगों, ठिकेदार व संबंधित भवन मालिक से तब सख्ती से पूछताछ क्यों नहीं कि, सिर्फ जांच का दिखावा क्यों करती रही। यह मजाक कि बात नहीं कि आपके यहां काम करने वाला मजदूर गायब हो जाय, उसके कपड़े उसी लोकेशन से बरामद हो, मगर उक्त मजदूर की हवा न लग पाए। ऐसे में अब आम लोग ही नहीं मृतक के परिजन भी भवन मालिक प्रदीप अग्रवाल व ठिकेदार को आरोपित कर रहे हैं। एक और सवाल कायम है कि क्या मुन्ना की किसी कारण वश हत्या हुई या उसके साथ कोई हादसा हुआ…अगर दोनों में से कोई भी मामला हो, संबंधित लोगों की जिम्मेदारी कम नहीं होती। पुलिस को भी इसका जवाब देना होगा कि वह इतने दिनों तक सिर्फ हवा में तीर क्यों मारती रही। उसने सख्ती क्यों नहीं दिखाई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट बहुत कुछ साफ कर देगा। बहरहाल करीब एक सप्ताह पहले गायब शख्स की लाश उसी लोकेशन के आसपास मिलने से सोमवार को सनसनी मच गई।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है।
बता दें कि चकिया निवासी मुन्ना कुमार उर्फ हनुमान व्यवसायी प्रदीप अग्रवाल के निर्माणाधीन भवन पर काम करने आया था,जिसके बाद से ही वह लापता हो गया।
परिजनों ने 23 दिसम्बर को स्थानीय थाने में उसके लापता होने का मामला दर्ज कराया था। जिसके बाद ही पुलिस उसकी खोजबीन में लगी । एक हफ्ते तक अंधेरे में तीर चलाने के बाद रविवार को
डाग स्कवायड की मदद से भी साइट पर छानबीन की गई, मगर वहां से उसके कपडे ही बरामद हो पाये थे। लेकिन आज सुबह उसकी पानी में तैरती हुई लाश बरामद होने से हनुमान के परिजन पुलिसिया कार्रवाई पर उंगली उठा रहे हैं। इधर भले ही सात दिनों तक मामले में सुस्ती दिखाने वाली चकिया की पुलिस गायब हनुमान की हवा तक न पा सकी, लेकिन अब मामले की जांच की बात कह रही है। वैसे परिजन प्रदीप अग्रवाल व ठिकेदार पर ही आरोप लगा रहे हैं। अब देखना है कि पुलिस मामले के दोषियों पर शिकंजा कस पाती है या मामला दो-चार दिनों तक समाचार की सुर्खियां पाने के बाद टायं-टायं फिस्स हो जाएगा।

 

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