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यूपी में सुहागरात से पहले अचानक गायब हो गया दूल्हा, तीन दिन बाद पेड़ पर लटकी मिली लाश, जानें पूरा मामला

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
शादी की पहली रात को घर से गायब दूल्हे की लाश शनिवार शाम पेड़ से लटकी मिली। परिजन दो दिनों से उसे खोज रहे थे। घटना के बाद परिजनों में मायूसी हैं। पुलिस मौके पर पहुंची तो परिजनों ने हत्या का आरोप लगाकर शव नहीं उतारने दिया।

गांव सिसइया साहब के परमाल सिंह यादव का पिलीभीत बिलसंडा रामनगर कॉलोनी में मकान है। नौ दिसम्बर को उनके छोटे बेटे लोकेन्द्र की शादी हुई। लोकेन्द्र ग्राम प्रधान थे। बारात शाहजहांपुर के बंडा क्षेत्र के गांव नरेन्द्रपुर के महेन्द्र पाल की बेटी सरला से हुई। दस दिसंबर को लोकेन्द्र दुल्हन लेकर घर आ गये। इसी रात को करीब 11 बजे के आसपास फोन से बात करने के बाद प्रधान घर से बाहर निकले। सीसीटीवी फुटेज में उन्हें देखा गया। उसके बाद से वह गायब थे। परिजन मैनपुरी, शाहजहांपुर से लेकर तमाम रिश्तेदारी में खोज रहे थे। बड़े भाई जोगेन्द्र की तहरीर पर पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की। सीडीआर निकलवाई। तीसरे दिन दोपहर तक कुछ पता नहीं चला तो पुलिस ने घर पहुंचकर दुल्हन से भी बात की। कई नंबरों का सीडीआर निकलवाया। परिजन और गांववाले प्रधान को खोज रहे थे। शनिवार शाम को घर से करीब दो किमी. की दूरी पर बिहारीपुर गांव में एक खेत से प्रधान की लाश पेड़ से लटकी मिली। कुछ ही देर में शिनाख्त हुई तो हजारों की तादाद में लोग मौके पर उमड़ पड़े। इंस्पेक्टर बिरजाराम भी पीछे से फोर्स लेकर मौके पर पहुंच गये।

मेहंदी छूटने से पहले उजड़ गया सुहाग

बिलसंडा में ऐसा पहली बार हुआ। शादी के बाद दूल्हा घर पहुंचा और पहली ही रात को गायब हो गया। फिर उसकी लाश मिली। हर कोई इस घटना के बाद स्तब्ध है। नई नवेली दुल्हन सरला अपनी किस्मत को कोस रही है। जिसे पति का साथ एक दिन को भी नहीं मिला। सारे सपने टूट गये। मेंहदी छूटने से पहले सुहाग उजड़ गया। चंद घंटे की इस दुल्हन की जिंदगी को सोचकर शाहजहांपुर से पीलीभीत तक लोग ऊपर वाले के विधान को कोस रहे थे। जवान बेटे को खोकर पिता, मां, भाई और बहन सब बेसुध थे। मुंह से सिर्फ ये निकल रहा था कि भगवान ये क्या किया? ऐसा कौन करता है। मां जिसने बेटे के सिर पर सेहरा बांधा वो पेड़ पर लटकी लाश देख जमीन पर बेहोश पड़ी थीं। प्रधान होने के कारण गांव से भी सैकड़ों लोग मौके पर जमा हो गये। लोकेन्द्र स्वभाव ऐसा था कि हरकोई उसका होकर रह जाता है। परिजनों के साथ साथ गांववाले भी रो रहे थे।

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