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गुड न्यूजः जलभराव वाले क्षेत्र में भी अब लहलहाएगी गन्ने की फसल, विकसित हुई नई प्रभेद, केविके में लगाए गए बीज

पीपराकोठी। राजेश कुमार सिंह
क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र, माधोपुर बेतिया ने गन्ने की नई प्रजाति विकसित की है। इससे जलभराव वाले क्षेत्र में भी भरपूर फसल होगी। केविके पीपराकोठी में डेढ़ एकड़ में इस नए उन्नत प्रभेद राजेन्द्र गन्ना-1 के बीज लगाए गए हैं।

 

केविके प्रमुख डॉ.अरबिंद कुमार सिंह ने बताया कि अगले सीजन में 20 एकड़ में खेती के लिए किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा। बताया कि अन्य प्रजाति में जहां शर्करा की मात्रा 11 से 12 फीसद होती है। वहीं इसमें 18.17 फीसद है। शर्करा की यह मात्रा देश के किसी भी कृषि अनुसंधान केंद्र से विकसित गन्ने से अधिक है। इस प्रजाति को राजेन्द्र कॄषि विश्वविद्यालय की रिसर्च काउंसिल ने अनुशंसित कर दिया है। इसे अब राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों की कमेटी को स्वीकृति मिल गई है। बताया कि इसका नाम राजेंद्र गन्ना-1 रखा गया है। इसमें फसल की उपज 111.60 टन प्रति हेक्टेयर है। जबकि अन्य गन्ने की फसल की उपज 60.70 टन प्रति हेक्टेयर है। इसी प्रजाति के खूटी से अगर किसान गन्ने की बोवाई करते हैं तो उपज 78.40 टन प्रति हेक्टेयर होगी।

कोयंबटूर की दो प्रजातियों को कराया गया क्रासः बताया कि राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय की देखरेख में इस प्रजाति को क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र माधोपुर में विकसित किया गया। इसे कोयंबटूर की प्रजाति सीओ एसी 92423 और सीओ 1148 के साथ क्रास कराया गया। राजेंद्र गन्ना-1 में शर्करा की मात्रा सर्वाधिक है।

दो फीट जल वाले क्षेत्र होगा पैदावारः जिस क्षेत्र में दो फिट तक जल जमाव होता है वहां भी बेहतर उत्पादन हो सकती है।अनुसंधान के दौरान इस गन्ने की प्रजाति पर रोग का असर बहुत कम हुआ। कीट का भी प्रकोप कम है। इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में की जा सकती है। उपज और शर्करा की मात्रा अधिक होने से यह गन्ना मिलों के साथ किसानों के लिए बेहतर है। इस गन्ने से छिलका हटाने में भी आसानी है।

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