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बिहार के किसानों के लिए गुड न्यूज, अब सरकारी क्रय केन्द्रों पर धान बेचने के लिए एलपीसी की अनिवार्यता खत्म

बिहार डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
किसानों के लिए खुशखबर। अब उन्हें सरकारी क्रय केन्द्र पर धान बेचने के लिए भूमि स्वामित्व प्रमाण पत्र (एलपीसी) की जरूरत नहीं होगी। सहकारिता विभाग में अलग से निबंधन कराने से मुक्ति देने के बाद सरकार ने यह नई राहत किसानों को दी है। इसी के साथ डिफॉल्टर पैक्स के नये अध्यक्ष जमानत देकर धान खरीद के लिए लोन (सीसी लिमिट) ले सकते हैं। जमानत के रूप में वह चावल के बदले मिलने वाली राशि भी दे सकते हैं।

खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव और सहकारिता मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने गुरुवार को संयुक्त प्रेसवार्ता में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि पहले एलपीसी के चक्कर में नहीं पड़ने के लिए रैयत किसान भी गैर रैयत बनकर धान बेचते थे। ऐसे में गैर रैयत किसानों की संख्या बढ़ जाती थी। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा।

सुखाकर धान लाने की अपील
विभाग के मंत्री ने किसानों को सलाह दी कि सरकार 17 प्रतिशत नमी वाला धान ही खरीदती है, लिहाजा किसान धान सुखाकर लाएं। जहां के किसानों ने धान सुखा लिया, वहां खरीद तेज है। कुछ केन्द्रों पर ड्रायर की भी व्यवस्था है। इसका भी लाभ लिया जा सकता है।

15 फरवरी तक लक्ष्य पाने का प्रयास
दोनों मंत्रियों ने कहा कि धान खरीद को लेकर सरकार बहुत सजग है। हर रोज हर जिले के डीएम से इसकी समीक्षा की जाती है। किसानों को हर हाल में 48 घंटे और एजेंसियों को 72 घंटे में भुगतान कर देना है। खरीद अभियान 31 मार्च तक चलेगा लेकिन विभाग का प्रयास है कि 15 फरवरी तक लक्ष्य पा लिया जाए। इसलिए समय पर धान की खरीद शुरू की गई है। दो लाख टन धान की खरीद हो चुकी है।

खरीद की सीमा बढ़ी
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस बार खरीद की सीमा बढ़ाकर 45 लाख टन कर दी है। इसके लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रैयत किसानों से दो सौ की जगह 250 क्विंटल और गैर रैयत से 75 की जगह सौ क्विंटल तक धान खरीद करने का निर्देश दिया है। इस आधार पर विभाग ने निर्देश भी जारी कर दिया है।

डिफॉल्टर पैक्सों के लिए भी हुई व्यवस्था
डिफॉल्टर पैक्सों के लिए भी आदेश जारी हो गया है। ऐसे डिफॉल्टर पैक्स जहां नए अध्यक्ष चुने गये हैं, वह जमानत देकर नया सीसी लिमिट ले सकते हैं। इसके अलावा वह खुद अपने पैसे से भी धान की खरीद सकते हैं। चावल का पैसा उनके खाते में चला जाएगा। चाहे तो मिलने वाले चावल के पैसे को भी वह जमानत के तौर पर दे सकते हैं। प्रेसवार्ता में खाद एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव विनय कुमार और निबंधक सहयोग समितियां राजेश मीणा भी थे।

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