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कोरोना वैक्सिनः भारत में कोरोना वैक्सिन को लेकर सारी अड़चनें खत्म, अगले साह इस माह तक आ सकता टीका, इतना कारगर होगा

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क

कोरोना से निजात की दिशा में भारत काफी आगे बढ़ चुका है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल की पहली तिमाही में यह टीका उपलब्ध हो जाएगा। तब तक हमें खुद की सुरक्षा के लिए तय मानकों का पालन करना अति आवश्यक है, क्योंकि मास्क कफन से काफी छोटा है। कफन पहनने से बेहतर मास्क पहनना व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन। दुर्भाग्य से देश में कोरोना एक बार फिर विकराल रूप धारण करने लगा है। ऐसे में सभी को टीके का बेसब्री से इंतजार है।

तो बता दूं कि यह इंतजार बहुत जल्द खत्म होने वाला है। कोरोना के टीके को लेकर लगभग सभी अड़चनें खत्म हो चुकी हैं। कम तापमान की वजह से अब नए कोल्डचैन की आवश्यकता नहीं है। भारत अगले वर्ष तीन अलग-अलग टीकों के साथ कोविड-19 का पहला और दुनिया का सबसे बड़ा वयस्क टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करेगा। सबसे अहम है कि राज्यों को टीका की खरीद नहीं करनी है और केंद्र की ओर से समानता का अधिकार रखते हुए सभी राज्यों को बराबर संख्या में टीके रोज उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में आवश्यक लोगों की संख्या अधिक होने के चलते वहां की सरकारों से बेहतर रणनीति पर काम करने की सलाह भी दी जाएगी।

रणनीति में नहीं हुआ बदलाव
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि टीके को लेकर भारत शुरुआत से जिस रणनीति को लेकर चल रहा था, उसमें अब बदलाव नहीं किया जाएगा। अब जब एस्ट्रेजेनेका के परिणाम संतोषजनक सामने आ चुके हैं और भारत बायोटेक का अंतिम परीक्षण भी जारी है। ऐसे में सरकार इन दो कंपनियों के टीके को लेकर आगे बढ़ेगी। इस बीच रूस या फिर जेनेवा एवं जायडस कैडिला का टीका आने पर उसे भी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। टीका लगाने के लिए सीरिंज का उत्पादन भी जोरों पर चल रहा है।

एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड कोविड-19 वैक्सीन परीक्षणों के अंतरिम परिणामों में ये बात निकलकर सामने आई है कि यह वैक्सीन मरीजों पर औसतन 70 फीसदी प्रभावी है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसी वैक्सीन के उत्पादन में लगा हुआ है। वैक्सीन के नतीजे आने के बाद वह जल्द ही आपातकालीन विनियामक मंजूरी प्राप्त करने के लिए आवेदन दे सकता है। भारत की दवा नियामक संस्था डीसीजीआई द्वारा कोविड-19 वैक्सीन के लिए बनाए गए दिशानिर्देशों में उसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी, जो 50 फीसदी से अधिक प्रभावी होगी।
सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहा, हम बहुत जल्द ही आपातकालीन लाइसेंस के लिए आवेदन करेंगे और उम्मीद करते हैं कि यह हमें एक महीने के भीतर मिल जाए। अंतिम मंजूरी डीसीजीआई के निर्णय पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा, कंपनी ने अभी तक चार करोड़ खुराक का स्टॉक रखा हुआ है और जनवरी तक यह 10 करोड़ हो जाएगा। इसमें से अधिकतर भारत के लिए होगा।

पूनावाला ने बताया, कोवीशील्ड नाम की इस वैक्सीन की बाजार में कीमत 500-600 रुपये प्रति खुराक होगी और सरकार को इसे 220-300 रुपये प्रति खुराक में उपलब्ध कराया जाएगा। मरीजों को वैक्सीन की दो खुराक की आवश्यकता होगी। वहीं, फाइजर और मॉडर्ना के वैक्सीन की कीमत इसके मुकाबले अधिक है। मॉडर्ना के वैक्सीन की कीमत 2,775 प्रति खुराक होगी। वहीं, फाइजर के वैक्सीन की कीमत 1,500 रुपये प्रति खुराक होगी।
गौरतलब है कि दवा निर्माता कंपनी एस्ट्राजेनेका ने सोमवार को कहा कि ब्रिटेन और ब्राजील में उसकी कोविड-19 वैक्सीन की क्लीनिकल परीक्षण का अंतरिम विश्लेषण दर्शाता है कि यह औसतन 70 फीसद प्रभावी है। इस तरह वह इस जानलेवा वायरस पर अंकुश पाने की दिशा में आशाजनक नतीजे की घोषणा करने वाली तीसरी दवा कंपनी बन गई है।

ऐसा रहा वैक्सीन का परिणाम
एस्ट्राजेनेका कंपनी ने एक बयान में बताया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित किए गए कोविड-19 वैक्सीन की पहली खुराक व्यवस्था में 90 फीसदी असर नजर आया। इसे आधी खुराक और एक महीने बाद पूरी खुराक के तौर दी गई थी। दूसरी खुराक व्यवस्था में इसका असर 62 फीसदी रहा। इसमें भी दो पूर्ण खुराक एक महीने के अंतराल पर दी गई। उसने कहा, दोनों खुराक व्यवस्थाओं के संयुक्त विश्लेषण से (वैक्सीन का) प्रभाव 70 प्रतिशत देखा गया।  वैक्सीन की दो खुराक लेने पर कोविड-19 से सुरक्षा प्रदान करता है। उसने कहा कि इस वैक्सीन से संबंधित कोई सुरक्षा चिंता सामने नहीं आई तथा एजेडडी 1222 नामक इस दवा से दोनों ही खुराक व्यवस्था में कोई मुश्किल पैदा नहीं हुई।

बता देंकि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से निजात पाने के लिए वैक्सीन का इंतजार हो रहा है। भारत में भी कई कोरोना वैक्सीन के कैंडिडेट हैं, जो ट्रायल में बेहतर परिणाम दिखा रहे हैं। इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि देश को शायद फाइजर कंपनी की कोरोना वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि देश में अन्य वैक्सीन का परीक्षण किया जा रहा है, जो अब तक सेफ्टी ट्रायल्स में आशाजनक परिणाम दिखा रहे हैं।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फाइजर-बायोएनटेक के वैक्सीन पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि अमेरिकी नियामक प्राधिकरण ने भी अभी तक इसके वैक्सीन को मंजूरी नहीं दी है। उन्होंने कहा कि अगर फाइजर की वैक्सीन को मंजूरी मिल भी जाती है तो इसके निर्माता दूसरे देशों को वैक्सीन की आपूर्ति करने से पहले अपनी स्थानीय आबादी को वैक्सीन मुहैया कराने का प्रयास करेंगे।
भारत में अभी तक कम से कम वैक्सीन के पांच कैंडिडेट हैं, जिनके कोविड-19 वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जारी है। इनमें से तीन वैक्सीन तो सेफ्टी और प्रभाव साबित करने के लिए दूसरे और तीसरे फेज के ट्रायल में हैं। सीरम इंस्ट्टीट्यूट ऑफ इंडिया, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (प्ब्डत्) के साथ मिलकर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल कर रहा है।

वहीं, भारत बायोटेक के कोविड-19 के टीके कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण शुरू हो गया है। कोवैक्सीन के दूसरे चरण का नतीजा कभी भी आ सकता है। दवा बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक कोविड-19 के लिये अपने वैक्सीन (टीके) को अगले साल दूसरी तिमाही में पेश करने की योजना बना रही है। कंपनी के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि भारतीय नियामक प्राधिकरणों से अपेक्षित मंजूरी मिल जाने की स्थिति में कंपनी की यह योजना है।

इसके अलावा, कैडिला हेल्थ का वैक्सीन भी दूसरे चरण का परीक्षण पूरा कर चुका है और परिणाम का इंतजार हो रहा है। इस वैक्सीन के फॉलोअप का समय भी अब खत्म होने वाला है। इन तीनों के अलावा, रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए भारत के डॉ. रेड्डी की प्रयोगशालाओं ने रूसी वैक्सीन डेवलपर्स के साथ करार किया है और इस पर इस सप्ताह से काम शुरू हो जाएगा।

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