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ब्रिटेन ने दी फाइजर-बायोएनटेक के कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति, मगर इस वजह से भारत के लिए हो रही मुश्किल

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
ब्रिटेन ने बुधवार को फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी। ऐसे में भारत में भी इसके प्रयोग को लेकर लोगों के बीच चर्चा शुरू हो गई है। लेकिन सुकून देने वाली इस खबर के बीच भारत के लिए चिंता की बात यह है कि इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए -70 डिग्री के तापमान की आवश्यकता होती है। बिना कोल्ड स्टोरेज की सुविधा के इस वैक्सीन को ट्रांसपोर्ट भी नहीं किया जा सकता है।

भारत में वर्तमान में इन सुविधाओं का अभाव है। इसके अलावा इस वैक्सीन की कीमत अधिक होना भी एक कारण है, जो भारत में इसके प्रयोग में बाधा बनेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पहले ही कह चुका है कि इस वैक्सीन के लिए कम विकसित देश तैयार नहीं हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कम विकसित देशों के पास वैक्सीन को स्टोर करने की सुविधा ही नहीं है, जिस कारण वहां पर इसका प्रयोग बहुत मुश्किल है।
उधर, ब्रिटेन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दिए जाने के बाद इसे लेकर एक प्रेस वार्ता की। यहां मौजूद ब्रिटेन की दवा नियामक एमएचआरए प्रमुख डॉ.जून रेन ने कहा कि इस वैक्सीन (फाइजर-बायोएनटेत कोविड-19 वैक्सीन) को केवल इसलिए अनुमति दी गई है क्योंकि इसके परीक्षण किए गए हैं और परिणाम उसके अनुसार आए हैं। सभी लोग पूरी तरह से आश्वस्त हो सकते हैं कि इसमें कोई कमी नहीं छोड़ी गई है।

फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन की कीमत कितनी है
ये वैक्सीन एमआरएनए टाइप की कोरोना वैक्सीन है। क्लिनिकल परीक्षण में यह मरीजों पर 95 फीसदी तक प्रभावी रही है। इस वैक्सीन को रखने के लिए -70 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। वैक्सीन को रेफ्रिजेरेटर के तापमान में पांच दिनों तक रखा जा सकता है। कोरोना संक्रमण से लड़ने के लिए इसकी दो खुराक की जरूरत होगी। दोनों खुराकों के बीच तीन सप्ताह का अंतर रहना चाहिए। वैक्सीन की प्रति खुराक की कीमत 15 डॉलर (लगभग 1,126 रुपये) है।
विशेषज्ञों के भीतर भी वैक्सीन के प्रयोग को लेकर संशय बरकरार
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने भी फाइजर-बायोएनटेक द्वारा तैयार कोरोना वैक्सीन को लेकर चिंता जाहिर की है। गुलेरिया ने कहा कि भारत के ग्रामीण इलाकों में इस वैक्सीन को स्टोर करने के लिए संसाधन का अभाव है। इस कारण इस वैक्सीन का देश में प्रयोग काफी मुश्किल नजर आ रहा है।

यूनिसेफ वैक्सीन उपलब्ध कराने को लेकर जुटा हुआ
दूसरी तरफ, कम विकसित देशों तक वैक्सीन की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए यूनिसेफ खुद को तैयार करने में जुट गया है। यूनिसेफ ने लक्ष्य रखा है कि वह करीब एक अरब वैक्सीन और इससे जुड़ी चीजों के रख-रखाव को लेकर साजो-सामान तैयार करेगा। यूनिसेफ ने कहा था कि वह वैक्सीन के सामने आने पर हर देश तक इसे उपलब्ध कराने के लिए तैयारी करेगा। वैक्सीन की उपलब्धता को लेकर जरूरी चीजों को खरीदने का काम भी जारी है। वैश्विक स्तर पर इस काम को तेज रफ्तार से अंजाम देने के लिए संगठन जी-तोड़ मेहनत कर रहा है। हालांकि, इसके बाद भी डब्ल्यूएचओ की चिंता को नजरअंदाज करना मुश्किल है।

 

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