
मोतिहारी। अशोक वर्मा
कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में राज्य सरकार के द्वारा छठ घाटों पर भीड़भाड़ पर लगी पाबंदी के कारण इस बार अलग-अलग जगहों एवं निजी घरों पर अस्थाई घाट बनाकर छठ व्रतियों ने डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य दिया । कस्तरवा छठ घाट पर स्थानीय सेवा केंद्र द्वारा बड़ा ही आकर्षक एवं प्रभावशाली आध्यातमिक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन कर सभी को ईश्वरीय ज्ञान दिया गया ।घाट पर उपस्थित लोगों ने बड़े ही चाव से चित्रों को समझा और ईश्वरीय ज्ञान को ग्रहण किया। प्रदर्शनी में आम लोगों को छठ व्रत के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डाला गया। भारत नेपाल बॉर्डर के कुनौली सेवा केंद्र से प्रभारी बीके मनीषा बहन ने छठ के हर विधि विधान एवं फल मूल चढ़ाने तथा उपवास आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला। स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी बीके सुनिता बहन ने आध्यात्मिक चित्र प्रदर्शनी के हर बिंदुओं को बड़े हीं गहराई से समझाया। उन्होंने बताया कि परमपिता परमात्मा शिव बाबा का ष्भारत की भूमि पर आज से 85 वर्ष पूर्व अवतरण हो चुका है।
परम धाम निवासी परमपिता परमात्मा शिव बाबा अपने बच्चों के बुलावे पर पूरे विश्व के कल्याण हेतु अवतरित हुए हैं। उन्होंने शिव और शंकर में अंतर को भी बताया ।शिव बाबा की रचना दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के बारे में भी उन्होंने स्पष्ट रूप से समझाया। छठ पूजा में 3 दिनों के उपवास आदि पर उन्होंने कहा कि यह व्रत मूलतः शक्ति की आराधना का व्रत है। व्रत में डूबते तथा उगते सूरज जो ज्ञान का प्रतीक है, उन्हें श्रद्धा का जल अर्पण किया जाता है । श्रद्धा जल अर्पण करने का हीं व्रत है छठ। चित्र प्रदर्शनी में लगे सीढ़ी के चित्र पर 84 जन्मों के चक्र को भी विस्तार से बताया। ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्रो पर पढ़ाए जाने वाले ईश्वरीय पढाई एवं सहज राज योग के बारे मे भी प्रकाश डाला।
बहन जी ने सहज राजयोग के द्वारा अष्ठ शक्तियों की प्राप्ति के बारे में भी विस्तार से बताया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से बीके वीरेंद्र भाई, बीके गोपाल भाई ,बीके सुमित भाई, बीके रामाधार भाई उपस्थित थे और सभी ने चित्र प्रदर्शनी को विसतार से समझाया और निकट के सेवाकेन्द्रों पर पहूंच कर आधयात्मिक ज्ञान को जीवन में उतारने के लिए निमंत्रण दिया।