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नेपाल के सुदूर ऐतिहासिक स्थल सिमरौन गढ़ में ब्रह्माकुमारीज पाठशाला आरंभ, जानें क्या होगा लाभ

मोतिहारी। अशोक वर्मा
प्राकृतिक आपदा ,कोरोनावायरस के बढ़ते प्रभाव और दुनिया वालो के लिये भयमुक्त वातावरण में नेपाल मे ईश्वरीये सेवा दिनों की काफी आगे बढ़ रही है । कर्नाटक सामन्त वंश द्वारा स्थापित भारत- नेपाल सीमा के सिमरौन गढ़ नामक गांव में भव्य रुप मे ब्रह्माकुमारी पाठशाला का शुभारंभ होना काफी मायने रखता है।
बीके पाठशाला का उद्घाटन बैरिया नेपाल के मुखिया संजय कुमार ,बीके मीणा दीदी ,बीके सुषमा बहन, घोडासहन की टीचर बीके मीरा बहन,बीके निर्मला बहन, बीके रोशनी बहन ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीके मीना दीदी ने कहा कि बाबा ने कहा है कि आने वाले दिनों में गली-गली गांव-गांव में सेवा केंद्र एवं पाठशाला खुलेंगे ताकि अधिक से अधिक लोगों को बाबा का संदेश और परिचय मिल सके ।उसी कड़ी में संजय मुखिया भाई के प्रयास से उपलब्ध इस जगह और मकान मे आज इस बीके पाठशाला का शुभारंभ नए रूप में किया गया। उन्होंने कहा कि यद्यपि दो वर्षों से यहां की माता जी अपने आवास पर पाठशाला चला रही थी लेकिन अब इस मंदिर क्षेत्र में बाबा का अपना घर हुआ जिसका लाभ आसपास के लोगों को और भी सुंदर ढंग से मिलेगा। नए पाठशाला हो जाने से योग, तपस्या एवं पुरुषार्थ में मदद मिलेगी। उक्त अवसर पर ब्रह्माकुमारी बीके सूषमा बहन ने नेपाल में चल रहे ब्रह्माकुमारीज के ईश्वरीय सेवा कार्य पर विस्तार से प्रकाश डाला और सभी को शुभकामनाएं दी। बीके मीरा बहन ने कहा कि घोड़ासहन से सटे सिमरौन गढ़ का अपना विशेष ऐतिहासिक महत्व है।ब्रह्मकुमारीज का यह ईश्वरीये ज्ञान विश्व के 140 देशों में दिया जा रहा है और लोग इसका लाभ ले रहे हैं।उसी कड़ी में घोड़ासहन से सटे-नेपाल के सिमरौन गढ़ का यह पाठशाला ईश्वरीय कार्य में दिनो दिन आगे बढ़ेगी तथा क्षेत्र के लोग इसका लाभ ले पाएंगे। कार्यक्रम में काफी संख्या में क्षेत्र के भक्त, श्रद्धालु एवं जिज्ञासु उपस्थित थे ।कई अतिथि भी थे जिसमें रेबनिया भारत के सरपंच राम विश्वास यादव, संजय भाई, कलैया के बिजेंदर गिरी, समाजसेवी भ्राता गोपाल अग्रवाल, योगेंद्र प्रसाद साह आदि मुख्य रूप से थे ।कार्यक्रम में पाठशाला की बच्चियों द्वारा स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया जिसे लोगों ने काफी सराहा। उद्घाटन के अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सात दिवसीय कोर्स करके इस ईश्वरीय ज्ञान को आसानी से समझा जा सकता है तथा जीवन में सुख शांति और समृद्धि लाई जा सकती है। वक्ताओं ने यह भी कहा कि वर्तमान नैतिक अवमूल्यन के दौर में ब्रह्माकुमारीज के चरित्र निर्माण एवं मूल्यों को पुनः स्थापित करने का कार्य काफी सराहनीय है।कहा कि यह सौभाग्य है कि आज सिमरौन गढ़ में विधिवत इस पाठशाला का शुभारंभ किया गया।

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