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महाशिवरात्रि के अवसर पर अमर छतौनी सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

मोतिहारी। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
महाशिवरात्रि के अवसर पर मोतिहारी शहर समेत आसपास के गांव स्थित शिवालयों में बाबा के जलाभिषेक को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सभी शिवालय हर-हर महादेव, बोल बम के नारों से गूंजते रहे। मोतिहारी शहर के बेलही देवी, पंचमंदिर समेत अन्य शिव मंदिर में अल सुबह से ही जलाभिषेक को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। इधर मोतिहारी प्रखंड के अमर छतौनी स्थित प्राचीन सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में भी सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। देर शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। इस अवसर पर विशेष पूजा अर्चना के साथ-साथ प्रसाद वितरण की भी व्यवस्था थी। इस अवसर पर मंदिर प्रबंधक समिति के रण बहादुर सिंह, ध्रुव राय, प्रदीप सिंह समेत अन्य लोग मौजूद थे।

 

भगवान शिव से सीखें लाइफ मैनेजमेंट के सूत्र
आज हम आपको भगवान शिव से जुड़ी ऐसी ही रोचक बातें व इनमें छिपे लाइफ मैनेजमेंट के सूत्रों के बारे में बता रहे हैं। संसार मोह-माया का प्रतीक है जबकि श्मशान वैराग्य का भगवान शिव कहते हैं कि संसार में रहते हुए अपने कर्तव्य पूरे करो, लेकिन मोह-माया से दूर रहो क्योंकि ये संसार तो नश्वर है. एक न एक दिन ये सबकुछ नष्ट होने वाला है. इसलिए संसार में रहते हुए भी किसी से मोह मत रखो और अपने कर्तव्य पूरे करते हुए वैरागी की तरह आचरण करो.
भगवान शिव क्यों रहते है कैलाश पर पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था और विष के प्रभाव से उनका शरीर गर्म होने लगा. तब चंद्रमा ने भोले शंकर के सिर पर विराजमान होकर उन्हें शीतलता प्रदान करने की प्रार्थना की. जब भगवान शिव ने चंद्रमा को धारण किया तब विष की तीव्रता कम होने लगी. तभी से चंद्रमा शिवजी के सिर पर विराजमान हैं. शिव को जो त्याग देता शिव वहा से चले जाते है और शिव को जो शीतलता प्रदान करता है शिव उसको जगह देते हैं.
शिव का डमरू कहता है कि अपने शरीर को डमरू की ध्वनि की तरह मुक्त कर दो. इससे सारी इच्छाएं, मुक्त हो जाएंगी. इस तरह हम कई मनोविकारों से भी मुक्त हो सकते हैं.
भोलेनाथ के गले में सुशोभित सांप कहता है जिंदगी में शारीरिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र होना चाहिए यानी आलस्य को त्याग देना चाहिए और किसी भी तरह का अहंकार मन में नहीं पालना चाहिए.

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