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यूपी के बाद एमपी में भी लव जिहाद पर सख्त कानून को मंजूरी, जबरन या धोखे से की शादी तो 10 साल की जेल

नेशनल डेस्क। यूथ मुकाम न्यूज नेटवर्क
यूपी के बाद मध्यप्रदेश में भी लव जिहाद पर सख्त कानून को मंजूरी मिल गई। यानी अब किसी शख्स ने धर्म छुपा या जबरन शादी के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया तो उसे 10 साल की जेल हो सकती है।

 

बशर्ते कि लड़की उसके खिलाफ न हो। बता दें कि मध्यप्रदेश में लव जिहाद को रोकने के लिए लाए गए ‘धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020’ को कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। सूबे के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान की अध्यक्षता में हुई एक विशेष बैठक में कैबिनेट ने इस विधेयक को मंजूरी दी। विधेयक को 28 दिसंबर से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा के सत्र में पारित कराया जाएगा। लव जिहाद का आरोप सिद्ध होने पर आरोपी को दो साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। गौरतलब है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने भी लव जिहाद के खिलाफ अध्यादेश को पारित किया है।

मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा, नए विधेयक के तहत, जबरदस्ती किसी का धर्म परिवर्तन कराने पर एक से पांच साल की कैद और न्यूनतम 25,000 रुपये का जुर्माना लगेगा। उन्होंने कहा, विधेयक के तहत नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर 50,000 रुपये का जुर्माना और दो से लेकर 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान भी होगा। उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक को विधानसभा में पेश किया जाएगा। 28 दिसंबर से मध्यप्रदेश विधानसभा का सत्र प्रस्तावित है।

धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को कैबिनेट से ध्वनि मत से पारित किया गया है। नए कानून में कुल 19 प्रावधान हैं, जिसके तहत अगर धर्म परिवर्तन के मामले में पीड़ित पक्ष की तरफ से शिकायत की जाती है, तो पुलिस आरोपी पर कार्रवाई करेगी। अगर कोई व्यक्ति धन और संपत्ति के लालच में धर्म छिपाकर शादी करता है तो उसकी शादी को शून्य माना जाएगा। इसके अलावा धर्म परिवर्तन पर संबंधित संस्थान भी बराबर का जिम्मेदार माना जाएगा।
धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को लेकर बताया गया है कि अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध एक से अधिक बार अपराध करने पर कम से कम पांच वर्ष तथा अधिकतम 10 साल के कारावास का प्रावधान किया गया है। विधेयक में निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करने की बाध्यता आरोपी पर रखी गई है।
इसमें अपराध की पीड़ित महिला एवं पैदा हुए बच्चे का भरण पोषण प्राप्त करने के अधिकार होने के भी प्रावधान किए गए हैं। पैदा हुए बच्चे को पिता की संपत्ति में उत्तराधिकारी के रूप में अधिकार बरकरार रखे जाने का प्रावधान शामिल किया गया है।

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